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Friday 25 April 2014

Canadian woman receives letter in the post 45 years after it was sent

देर आए मगर दुरुस्त आए। यह कहावत कनाडा के डाक विभाग पर पूरी तरह से ठीक बैठती है। क्योंकि यहां के डाक विभाग ने एक अधूरे पते वाले पत्र को सही हाथों तक पहुंचाने में 45 साल लगा दिए। 

हुआ यूं कि एक महिला ने 1969 में अपनी बहन को एक पत्र भेजा। लेकिन पत्र पर लिखे पते में नाम और शहर के अलावा अन्य जानकारियां गलत थी। इस कारण यह पत्र उस समय पते पर नहीं पहुंचा। 

लंबे समय बाद जब पत्र पाने वाले ने किसी अन्य वजह से अपना ठिकाना बदलकर डाक विभाग को सूचित किया कि अब इस पते पर आने वाली डाक को उसके नए पते पर भेजें तो डाक विभाग द्वारा सालों से पड़ी उस पाती के मालिक की अनायास पहचान कर ली गई। विभाग ने पत्र पाने वाले को पत्र के साथ एक नोट लिखकर भी भेजा। हालांकि इसमें चार दशकों से अधिक की हुई देरी के लिए खेद नहीं व्यक्त किया गया था बल्कि पत्र के खस्ताहाल हो जाने की स्थिति पर जरूर खेद प्रकट किया गया था।

Source: Hindi News

Wednesday 23 April 2014

Pet cat attack sends three to hospital in US

अमेरिका में एक गुस्सैल बिल्ली ने एक परिवार के सदस्यों पर हमला कर दिया जिसमें एक बच्चे सहित परिवार के तीन सदस्य बुरी तरह जख्मी हो गये।

इस गुस्सैल बिल्ली से परिवार के सभी सदस्य बुरी तरह घबरा गये और इस बिल्ली को काबू में करने के लिए बिल्ली पर एक कंबल फेंककर पकड़ लिया और पिंजरे में बंद किया गया जिससे यह और कोई नुकसान न पहुंचा सके।

घटना के बाद परिवार के सभी सदस्य इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे और उस गुस्सैल बिल्ली को स्थानीय पशु क्रूरता निवारण शाखा को सौंपा गया है जो इस गुस्सैल बिल्ली की जांच कर रही है। 

Source: Hindi News

Wednesday 16 April 2014

Reached the hospital in joy

खुशी के मारे पागल हो जाने वाली कहावत तो आपने सुनी होगी। ऐसे ही वाकये में एक व्यक्ति खुशी से पागल तो नहीं हुआ लेकिन अस्पताल जरूर पहुंच गया। हुआ यूं कि इस व्यक्ति को हाल ही में एक कंपनी में उच्च पद और मोटे वेतन वाली नौकरी मिली। वह सफलता हजम नहीं कर पाया। 

अपनी खुशी साझा करने के लिए उसने अपने परिजनों और दोस्तों को भव्य पार्टी दी। पार्टी में इसने जमकर शराब पी। इसके बाद दोस्तों ने रोकने की कोशिश की लेकिन इसने एक नहीं सुनी और पीता रहा। थोड़ी देर बाद इसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। 

अब महाशय नौकरी पर जाने के बजाय छुट्टी लेकर अस्पताल में दिन गुजार रहे हैं।

Source: Hindi News

Tuesday 15 April 2014

Skateboarding Goat, Happie, Sets Guinness World Record

कौन कहता है कि जानवर मनुष्य की तरह काम नही कर सकते हैं अगर आप भी ऐसा ही समझते हैं तो जनाब हम आपको बता दें कि जानवरों के पास भी दिमाग होता है और हमारी आपकी तरह ही सबसे आगे रहने की इनकी कोशिशें भी होती हैं। ये इंसानों से खुद को कम नहीं समझते और वह सब करना चाहते हैं जो इंसान करते हैं। जी हां हम यहां बात कर रहे हैं एक ऐसी बकरी की जो आपको बहुत दौड़ाने वाली है।

2014 के लिए गिनीज बुक ऑफ वल‌र्््ड रिकॉर्ड में दर्ज होने वालों में एक नाम अमेरिका की हप्पी का भी है। आप जरूर जानना चाहेंगे कि ये हप्पी कौन है! अंदाजा लगाइए यहां जानवरों की बात हो रही है तो यह कौन सा जानवर होगा? जी नहीं, यह कोई कुता, बिल्ली, शेर या बंदर नहीं है। ये है सबसे अलग बकरी। लेकिन इसे आम बकरी समझने की भूल मत कीजिए। यह इंसानों से एक कदम आगे चलने वाली बकरी है। अमेरिका की मेलोडी कूक की यह बकरी आज चर्चित चेहरा है। क्यों? क्योंकि यह आम बकरियों की तरह धीरे-धीरे चलने की बजाय सीधे स्केट पर दौड़ती है। जी हां, हप्पी स्केटिंग करती है। इसने बकरियों की स्केटिंग का पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ा है। इसके लिए इसका नाम 2014 के लिए गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है। हप्पी की केयर टेकर मेलोडी कूक कहती हैं कि गिनीज बुक में नाम दर्ज होने के बाद इसके हाव-भाव में भी बहुत बदलाव आया है। वह शायद समझती है कि अन्य बकरियों में वह बहुत खास है। इसलिए उसकी चाल भी अब गर्वीली हो गई है। उससे बात करने पर भी उसका अंदाज अब खास व्यक्तियों की तरह होने लगा है।

Source: Hindi News

Tuesday 8 April 2014

The dog gave testimony in a murder case in france

फ्रांस की एक अदालत में नौ साल के एक कुत्ते को मालिक के हत्यारे को पहचानने के लिए कठघरे में बुलाया गया।

टैंगों नाम के लैब्राडोर नस्ल के इस कुत्ते को मध्य फ्रांस के टोर्स की अदालत में हत्या के मामले की शुरुआत जांच के दौरान मालिक के संदिग्ध हत्यारे को पहचानने के लिए बुलाया गया था। आरटीएल रेडियो की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने संदिग्ध को एक बैट से कुत्ते को डराने को कहा ताकि टैंगो की प्रतिक्रिया समझ कर हत्यारे को पहचाना जा सके। इस परीक्षण को निष्पक्ष रखने के लिए टैंगो की तरह दिखने वाले नोरमन नाम के एक अन्य कुत्ते को भी अदालत में बुलाया गया। संदिग्ध से नोरमन को उसी तरह डराने को कहा गया लेकिन यह परीक्षण पूरी तरह विफल हो गया। 

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब फ्रांस की किसी अदालत ने गवाही के लिए किसी कुत्ते को अदालत में बुलाने को मंजूरी दी है। पिछले महीने भी अदालत में एक कुत्ते को हत्या के दो संदिग्धों की तस्वीर दिखाकर उन्हें पहचानने की कोशिश की गई थी। अदालत में एक पशु चिकित्सक को भी बुलाया गया था ताकि वह कुत्ते के हाव भावों को समझ सके। वर्ष 2008 में स्कूबी नाम के कुत्ते को पहली बार हत्या के संदिग्ध की पहचान के लिए अदालत में बुलाया गया था।

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Friday 4 April 2014

Crying without tears

पांच साल की रानी (परिवर्तित नाम) रोती है पर जन्म से ही आंखों से आंसू नहीं आता। धीरे-धीरे उसका गोरा रंग भी काला पड़ गया। जांच में पता चला कि उसे रेयर जेनेटिक (अनुवांशिक) बीमारी है। जो उसके सेहत के लिए खतरा साबित हो सकता था। पर दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में कृत्रिम आंसू डालकर उसकी आंखें गीली की गई।

इसके अलावा उसे हार्मोनल मेडिसिन देने पर उसके सेहत में सुधार शुरू हो गया है। यही नहीं रानी की बीमारी से ढाई साल के छोटे भाई की बीमारी भी पकड़ी गई। छोटे भाई को भी यही बीमारी है। वह भी रोता है पर उसके आंख से आंसू नहीं आता। रानी चार भाई बहन है, जिसमें दो भाई व दो बहनें हैं। एक भाई व एक बहन रानी से बड़े हैं। दोनों बड़े भाई बहनों को यह परेशानी नहीं है। रानी के माता-पिता मूलरूप से बिहार पटना के रहने वाले हैं। उसके पिता दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में अच्छे ओहदे पर नौकरी करते हैं। रानी की मां ने बताया कि दोनों छोटे बच्चों में यह परेशानी है। आंसू नहीं आने के कारण रानी की आंखें लाल रहने लगी थीं। शुरूआत में आंख के डॉक्टरों से इलाज कराने पर उन्होंने कहा कि उसकी आंखों में कोई दिक्कत नहीं है। करीब एक साल पहले वह बीमारी पड़ी। यूरिन में खून की मात्रा आने से वह कमजोर हो गई। इलाज करने पर वह बीमारी तो ठीक हो गई पर धीरे-धीरे उसका रंगा काला पड़ गया। तब त्वचा रोग विशेषज्ञ ने हार्मोन के डॉक्टर से दिखाने की सलाह दी। शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के एंटोक्रिनोलॉजी विभाग की डॉक्टर वैशाखी रस्तोगी ने बताया कि हार्मोनल जांच करने पर पता चला कि रानी को एलग्रोव सिंड्रोम है। जो किडनी के उपर रहने वाले एडिनल ग्लैंड द्वारा कॉर्टिसॉल हार्मोन नहीं बनने के कारण है। इसके चलते रानी के हाथ-पैर, आंखों के नीचे का हिस्सा यहां तक कि मसूड़ा भी काला पड़ गया। हार्मोन की कमी दूर करने के लिए उसे कार्टिसॉल दवा देनी शुरू की गई है।

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