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Monday 25 August 2014

World's most pierced man

रिकॉर्ड बनाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते पर 57 वर्षीय जर्मन निवासी रॉल्फ बुखोल्ज का किस्सा सबसे अलग है। उनके नाम अपने शरीर में सबसे अधिक जगह छिदवाने का विश्व रिकार्ड है और उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज है। रॉल्फ के चेहरे और माथे पर कुल 453 छिद्र है जिनमें उन्होंने रिंग या स्टड डाल रखा है। चेहरे के अलावा उन्होंने गुप्तांगो में भी छिद्र करा रखे हैं। बहरहाल खबर यह है कि इस व्यक्ति को गल्फ देश दुबई ने अपने यहां आने से रोक दिया है।

रॉल्फ बुखोल्ज को दुबई के एक होटल फेयरमेंट स्थित नाईट क्लब सर्क ला सोईर ने आमंत्रित किया था पर उन्हें दुबई हवाई अड्डे पर ही रोक लिया गया और वापस भेज दिया गया। रॉल्फ का इस कल्ब में कार्यक्रम तय था. यह क्लब अजीबो-गरीब कार्यक्रम करवाने के लिए जाना जाता है। यह क्लब 2011 में खुला था और अपने लंदन ब्रांच की तरह लेट नाईट पार्टी करने वालों को कुछ हटकर मनरोंजन कराने की कोशिश करता रहता है।

कल्ब के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर जैद लहाउद ने कहा, हम हमेशा कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहेंगे, लेकिन हम सरकारी कानून और हुक्म भी मानेंगे. उसने आगे कहा कि रॉल्फ का ना आना हमारे लिए शर्म की बात है। सरकारी अधिकारियों ने उसे वापस भेजने के पीछे कोई तर्क नहीं दिया।

Source: Hindi News

Friday 22 August 2014

know why Boy with giant hands shunned from school?

आठ वर्षीय कलीम को एक असाधारण बीमारी है, जिसमें उस हाथ खासतौर पर पंजों का आकार असाधारण रूप से बढ़ गया है। उसके एक हाथ का वजन लगभग आठ किलो है ये 13 इंच के हैं, जो साधारण बचे के हाथ की तुलना में कई गुना बड़े हैं। कलीम की इस बीमारी को देखकर डॉक्टर भी हैरान हैं। इस बीमारी के चलते उसे स्कूल से भी निकाल दिया गया। टीचर्स कहती हैं कि अन्य बच्चे को उसके हाथों से डर लगता है।

दिल्ली के निकट एक गांव में रहने वाले कलीम की मां हालीमा का कहना है कि जब वह पैदा हुआ था, तब उसके हाथ साधारण बच्चे के हाथ की तुलना में दोगुना बड़े थे। माता-पिता उसके इलाज के लिए धन जुटाने के लिए यादा मेहनत कर रहे हैं।

दिल पर हो सकता है असर

डॉक्टरों का कहना है कि असामान्य रूप से हाथ बड़े होने की इस बीमारी को हमरटोमा कहा जाता है। हालांकि कलीम के मामले में बिना जेनेटिक जांच किए कारण बताना मुश्किल है। बीमारी के बावजूद उसका स्वास्थ्य ठीक रहता है, लेकिन लगातार बढ़ रहे हाथों से उसके हृदय पर असर पड़ सकता है।

क्रिकेट फैन है कलीम

कलीम ने बताया कि मुझे रोजाना कपड़े पहनने जैसे साधारण कार्य करने में दिक्कत होती है, लेकिन मैं अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलता हूं जो मुझे बहुत पसंद है। हालांकि डॉक्टरों को मुझे ऑपरेट करना हो तो वो केवल इंजेक्शन से ही करें, न की सर्जरी से। छोटे से ऑपरेशन से मुझे परेशानी नहीं होगी।

Source: Hindi News

Wednesday 20 August 2014

Police report was registered for neutralizing poison

यहां एक महिला ने आत्महत्या के प्रयास में विफल होने पर एक कीटनाशक बनाने वाली कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कराया। हुआ यूं कि अपने जीवन से परेशान होकर महिला ने आत्महत्या करने का निश्चय किया। मरने के लिए उसने घर में ही रखे कीटनाशक को पी लिया। 

काफी देर तक भी जब उस जहर का महिला के ऊपर कोई असर नहीं दिखा तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वह फौरन दुकानदार के पास गई और कीटनाशक की पड़ताल की तो पता चला कीटनाशक मिलावटी था। 

महिला ने फौरन पुलिस स्टेशन जाकर इस बात की रिपोर्ट दर्ज कराई। साथ ही इस बात को भी दर्ज कराया कि नकली कीटनाशक के चलते वह जिंदा बच गई। हालांकि पुलिस स्टेशन में कंपनी पर नकली कीटनाशक बनाने के खिलाफ मामला दर्ज करने के साथ महिला पर आत्महत्या करने के प्रयास का मामला भी दर्ज किया गया .

Source: Hindi News

Tuesday 19 August 2014

The Traffic Jam by chicken

भारतीय शहरों में आवारा मवेशियों की वजह से ट्रैफिकजाम होना आम बात है पर ऐसा ही कुछ अमेरिका जैसे देश में हो जाए तो...और वह भी मुर्गे की वजह से। अमेरिका के ओरेगन प्रांत में एक सड़क पर तब जाम की नौबत आ गई जब सड़क पार कर रहे एक मुर्गे को रास्ता देने के लिए वाहनों को रुकना पड़ा।

एक ओरेगन निवासी ने पुलिस को कॉल करके बताया कि एक मुर्गे की वजह से ट्रैफिक बहुत धीमा हो गया है क्योंकि मुर्गा सड़क पार करने के लिए काफी वक्त ले रहा है। पहले तो पुलिस को लगा कि कोई मजाक कर रहा है लेकिन कॉलर ने पुलिस को आश्वस्त किया कि यह कोई प्रैंक कॉल नहीं है और वाकई मुर्गे द्वारा सड़क के बीचो-बीच जाने और फिर बेहद धीमी गति से रोड क्रॉस करने के प्रयास के कारण गाडि़यां लगभग रूक गई हैं।

हालांकि पुलिस जबतक बताए गए स्थान पर पहुंची मुर्गा वहां से फुर्र हो चुका था लेकिन मुर्गे द्वारा सड़क पार करने की इस अजीबोगरीब घटना पर लोग तरह-तरह के चुटकले शेयर कर रहें हैं पर स्थानीय पुलिस का कहना है कि जानवरों द्वारा सड़क पार करने की घटना मजाक का विषय नहीं है। इस बार भले ही कोई दुर्घटना नहीं हुई पर ऐसे हालात कभी भी किसी बड़े हादसे की वजह बन सकते हैं। 

Source: Hindi News

Friday 8 August 2014

Phoolan Devi murder: Court convicts main accused Sher Singh Rana, acquits 10 others

Additional Sessions Judge Bharat Parashar, however, acquitted 10 other accused in the case due to lack of evidence against them.
   
"Except Sher Singh Rana, I am acquitting all the accused. Sher Singh Rana is convicted for the offences under Sections 302 (murder), 307 (attempt to murder) and 34 (common intention) under the IPC," the judge said and fixed the matter for August 12 for arguments and pronouncement of quantum of sentence.
   
As soon as the judge pronounced the judgement, 38-year-old Rana said, "Why have you convicted only me. Others were also there."
   
The judge, however, said that he can file an appeal before the High Court challenging the order.
   
"I have passed the judgement, you can file an appeal in the high court," the judge said.
   
The court acquitted Dhan Prakash, Shekhar Singh, Rajbir Singh, Vijay Singh alias Raju (Rana's brother), Rajender Singh alias Ravinder Singh, Keshav Chauhan, Praveen Mittal, Amit Rathi, Surender Singh Negi alias Suri and Sharavan Kumar.
   
The proceedings against accused Pradeep Singh were abated after he died in Tihar Jail in November 2013.
   
Rana, Shekhar Singh, Rajbir Singh and Sharavan Kumar were produced in the court from judicial custody while other accused were on bail.
   
37-year-old Phoolan was shot dead from close range by three masked gunmen in the heart of the capital's VIP area as she returned home for lunch after attending Lok Sabha on July 25, 2001.
   
Delhi Police had chargesheeted 11 men accusing them of eliminating Phoolan to avenge the 1981 Behmai massacre in which she had allegedly killed a number of Thakurs.
   
The chargesheet had named Rana, Dhan Prakash, Shekhar Singh, Rajbir Singh, Vijay Singh, Rajender Singh, Keshav Chauhan, Praveen Mittal, Amit Rathi, Surender Singh Negi and Pradeep Singh as accused.

Source: Latest News

Unique way of identifying girls

एक साल की तीन छोटी जुड़वां बच्चियों की परवरिश उनके माता-पिता के लिए सिरदर्द बन गई। दरअसल उन तीनों की शक्लें आपस में अभी इतनी मिलती-जुलती है कि वह भी धोखा खा जाते हैं। 

इस चक्कर में गलत पहचान के चलते एक बच्ची दिन में चार बार दूध पाती और दूसरी भूखी रह जाती। 

रोज इस तरह की परेशानियों से तंग आने के बाद समस्या से निपटने के लिए उन्होंने एक नायाब तरीका खोज निकाला है। अब उन्होंने उन तीनों के पैरों के अंगूठे के नाखूनों पर अलग-अलग रंगों की नेलपॉलिश लगानी शुरू कर दी है। ऐसा करने से पहचानने के संकट से काफी हद तक उनको निजात मिल गई है।

Source: Hindi News

The Internet goes ape over a monkey selfie and the copyright battle it sparked

बंदर ने खींची सेल्फी, फोटो पर विवाद सेल्फी लेना आज एक फैशन बन गया है, सिर्फ हम, आप और बड़े सितारे ही सेल्फी के शौकीन नही है बल्कि जानवर भी इसके शौकीन बन गये हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि एक बंदर और फोटोग्राफर में सेल्फी की वजह से विवाद हो गया है।

न्यूयॉर्क इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर तीन साल पहले एक बंदर (ब्लैक मकैक, इंडोनेशिया में पाए जाने वाली बंदरों की एक प्रजाति है) द्वारा ली गई एक सेल्फी पर विकीपीडिया और जिस कैमरे से सेल्फी ली गई थी उसका मालिक फोटोग्राफर दोनों अपना-अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। फोटोग्राफर डेविड स्लेटर का दावा है कि यह तस्वीर उनके कैमरे से ली गई है और विकीपीडिया इसे अपने पेज से हटा दे। जबकि विकीपीडिया ने इस सेल्फी को यह कहते हुए हटाने से इनकार कर दिया है कि क्योंकि यह तस्वीर बंदर ने ली थी।

विकीपीडिया के मुताबिक इस तस्वीर की कॉपीराइट उस बंदर के पास है न कि उस फॉटोग्राफर के पास विकीपीडिया ने अपनी बेवसाइट पर लिखा है, इन तस्वीरों को पब्लिक डोमेन में इसीलिए रखा गया कि इसे इंसान ने नहीं खींचा और इसलिए कोई कॉपीराइट भी नहीं बनता है। 

Source: Hindi News

Thursday 7 August 2014

Unique way of identifying girls

 एक साल की तीन छोटी जुड़वां बच्चियों की परवरिश उनके माता-पिता के लिए सिरदर्द बन गई। दरअसल उन तीनों की शक्लें आपस में अभी इतनी मिलती-जुलती है कि वह भी धोखा खा जाते हैं। 

इस चक्कर में गलत पहचान के चलते एक बच्ची दिन में चार बार दूध पाती और दूसरी भूखी रह जाती। रोज इस तरह की परेशानियों से तंग आने के बाद समस्या से निपटने के लिए उन्होंने एक नायाब तरीका खोज निकाला है।

 अब उन्होंने उन तीनों के पैरों के अंगूठे के नाखूनों पर अलग-अलग रंगों की नेलपॉलिश लगानी शुरू कर दी है। ऐसा करने से पहचानने के संकट से काफी हद तक उनको निजात मिल गई है।

Source: Hindi News

Tuesday 5 August 2014

This unique method of protest

भले ही लोग सेहत बनाने के लिए सेब का सेवन करते हों, लेकिन अब कुछ लोग सेब खाकर विरोध जता रहे हैं। यह सुनने में अजीब जरूर लग सकता है लेकिन आजकल पोलैंड के निवासियों ने रूस के प्रति अपना विरोध दर्ज कराने के लिए यही रास्ता निकाला है। इसकी वजह रूस द्वारा पोलैंड के खाद्य पदाथरें के आयात पर रोक लगाना है। विरोध की इस मुहिम को लेकर फेसबुक पर सेब खाओ, पुतिन को चिढ़ाओ स्लोगन के साथ एक पेज बनाया गया है, जिस पर लोग सेब खाते हुए अपनी तस्वीरें डाल रहें हैं। अब तक इस पेज को 17 हजार लोगों द्वारा पसंद किया जा चुका है। इतना ही नहीं पोलैंड के आम नागरिक के साथ इसमें वहां के कृषि मंत्री भी जुड़ चुके हैं। 

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Chinese mystery river appeared in red

हर किसी का सपना होता है वादियों में घर हो, सामने ही खूबसूरत फूलों से खिला हरा-भरा पार्क और उससे साथ ही कल-कल बहती एक साफ-सज्जल नदी। सचमुच ऐसे किसी घर में रहने वाला खुद को शायद दुनिया का सबसे खुशनसीब मान बैठे। खिड़की पर खड़े हों तो हवा की गति के साथ मंद-मंद बहता नदी का वह साफ, नीला पानी देखना किसी को भी स्वर्ग की अनुभूति दे सकता है। ऐसी जगह सिर्फ सपनों में नहीं, हकीकत में भी होती है। ऐसी बातें सुनकर या पढ़कर एक बार हर किसी के मन जरूर ये खयाल आता है कि काश! हम भी दुनिया की भीड़-भाड़ से दूर ऐसे किसी खूबसूरत घर में रह पाते। शायद यह खयाल अभी आपके भी मन में आ रहा हो। पर यह खूबसूरती कभी आपको डरा भी सकती है।

सोचिए अगर किसी दिन आप उठे, अलसाए हुए उठकर खिड़की पर खड़े हुए कि सामने यह क्या..नदी का पानी लाल! यह कैसे हो गया! वह भी किसी छोटे से दायरे में नहीं बल्कि पूरा का पूरा नदी का पानी ही लाल है। शायद आप भय के मारे वहां से भाग ही जाएं। पर चीन में जिस जगह की कहानी हम यहां बता रहे हैं वहां के लोगों के पास भागने का भी कोई रास्ता नहीं।

वेनझोऊ पूर्वी चीन का एक जाना-माना शहर है। तीन ओर से पहाडि़यों से घिरे इस शहर के सामने प्रशांत महासागर है। वेनझोऊ में एक नदी भी है। एक सप्ताह पहले तक नदी का पानी आम नदियों की तरह ही साफ और नीले रंग का था। लेकिन अभी एक सप्ताह के अंदर ही वह अचानक खून की नदी में बदल गई है। डरने की कोई बात नहीं, उसमें किसी का खून नहीं बहा लेकिन हां, आश्चर्य की बात जरूर है क्योंकि एक सुबह लोगों ने देखा तो नदी का पानी खूनी लाल था। रातों रात पानी का रंग कैसे बदला यह किसी को नहीं पता। अभी इसकी जांच चल रही है।

स्थानीय लोगों के अनुसार सुबह 5 बजे तक पानी साफ था लेकिन 6 बजते-बजते अचानक पानी का रंग लाल हो गया। इसके आस-पास कोई केमिकल इंडस्ट्री भी नहीं है और इसमें किसी तरह का रासायनिक कचरा भी बहाया नहीं जाता।

इसलिए इस कारण इसका रंग लाल होने की कोई संभावना नहीं है। हां, नदी के पास फूड कलरिंग कंपनी, कपड़ों की शॉप और पेपर मैनुफैक्चर कंपनियां जरूर हैं। इसलिए इसमें रंग मिले होने का शक भी जताया जा रहा है। पर्यावरण रक्षा अधिकारी पानी का सैंपल जांच के लिए ले गए हैं। शुरुआती जांच में अभी तक रंग बदलने का कोई कारण सामने नहीं आया है और यह एक रहस्य बना हुआ है।

हालांकि चीन में यह कोई नहीं बात नहीं है। इससे पहले भी 2011 में जिआन नदी और 2012 में इसी तरह यांगचे नदी के पानी का रंग अचानक बदल गया था। जिआन नदी का रंग बदलने के पीछे का कारण किसी डाई कंपनी का अनाधिकृत तरीके से लाल रंग की डाई को पानी में बहाया जाना था। पर यांगचे नदी के पानी का रंग बदलने के पीछे कई कारण थे जिनमें एक था बारिश के बाद नदी के पानी में गाद (पानी के बहाव से लाई हुई मिट्टी या रेत) का मिलना। इसलिए संभव है वेनझोऊ की इस नदी के पानी का रंग बदलने के पीछे भी ऐसा कोई कारण रहा हो। फिलहाल यह लोगों में कौतुहल और रहस्य का विषय बना बना हुआ है। 

Source: Hindi News

Friday 1 August 2014

Teeth can give clues about where you came from

The discovery led by University of Florida geology researcher George D Kamenov could help police solve cold cases.
   
For instance, if an unidentified decomposed body is found, testing the lead in the teeth could immediately help focus the investigation on a certain geographic area.
   
That way, law enforcement can avoid wasting resources checking for missing persons in the wrong places.
   
"We can use this pollution signal to figure out where these people came from," he said.
   
Lead is composed of four variants, called isotopes. The amount of those isotopes fluctuates in different rocks, soils and ores - and, therefore, regions of the world.
   
Mining and other pollution-causing activities release that lead into the environment and it accumulates in children's bodies as they grow because kids inhale dust and ingest soil when they put their hands in their mouths.
   
Tooth enamel, which develops during childhood, locks in the lead signals and preserves them.
   
"When you grow up, you record the signal of the local environment. If you move somewhere else, your isotope will be distinct from the local population," Kamenov said.
   
Even different teeth can reveal certain facts.
   
First molar enamel is finished forming by age three, so it provides information about birth and toddler years.
   
Incisor and canine enamel starts later and finishes around age five, so it gives insight into early childhood. The third molar enamel does not start forming until age eight, so it indicates late childhood residences.
   
Lead analysis can also tell what time period a body is from.
   
Modern and historical teeth have different signals, according to the study. The natural composition of lead changed over the past century because of mining and the use of leaded gasoline, so there's a clear distinction between modern and historical human exposure.
   
Using that information, archaeologists can identify early European bodies in New World areas.
   
"You can go back in time, look at archaeological sites and try to reconstruct human migration," Kamenov said.
   
The study was published in the journal Science of The Total Environment.

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