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Friday 31 January 2014

Grandson kidnaps her own Grandmother


 

अबुजा। जिस उम्र में मासूमियत की अपेक्षा होती है, उसी दौर में कुछ लोग बड़े कारनामे कर गुजरते हैं। इसी तरह की एक घटना में नाइजीरिया के एक 14 वर्षीय किशोर ने अपनी दादी का अपहरण कर सभी के होश उड़ा दिए। दरअसल इस लड़के की गलत सोहबत हो गई। 

अपराधी प्रवृत्ति के किशोरों के साथ यह घूमने-फिरने लगा। उसी कड़ी में एक दिन इसने अपने साथियों के साथ मिलकर अपनी ही दादी के अपहरण की योजना बना डाली। 

इसको पूरी सफलता के अंजाम दिया गया और फिरौती में 15 लाख रुपये मांगे गए। परिजनों ने रकम का जुगाड़ कर अपहरणकर्ताओं को फिरौती दी। पोते को उसके हिस्से के महज 50 हजार रुपये मिले। जब पुलिस ने मामले की तहकीकात की तो पोते की करतूत का पर्दाफाश हुआ। 

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PUMA destroys kitchen after breaking into

चिली के सैंटियागो में एक महिला ने जैसे ही अपने घर में प्रवेश किया वह अपनी रसोई में एक अवांछित अतिथि को देखकर चौंक गयी। उसने देखा कि खिड़की का शीशा भी टूटा हुआ था और सब सामान अस्त-व्यस्त था।
एक तेंदुआ उसकी रसोई में आ गया था। जिसे अचानक देख वह घबरा गयी क्योंकि उसे पता था कि तेंदुआ भोजन की तलाश में किसी को भारी क्षति पहुंचा सकता है। 

उस महिला ने घर के बाहर से उसकी तस्वीरें लीं और उसे पकड़वाने के लिए संबंधित विभाग को सूचित किया। स्थानीय चिडि़याघर अधिकारी उसे बेहोश कर चिडि़याघर ले गये। 

प्राय: दिन के समय ऐसी घटनायें कम ही होती हैं अपने शिकार की तलाश में यह जंगली जानवर ऐसा करते हैं।
तेंदुए का मुख्य भोजन जंगली जानवर हैं यह सुअर, हिरण, खरगोश, गिलहरी जैसे जीव खाना पसंद करता है। 

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Wednesday 29 January 2014

Girl aged 10 drove three miles after pulling 16 stone grandad from drowning in lake

 
दक्षिण कैरोलिना में रहने वाली एक 10 वर्षीय लड़की ने वाकई साहस का परिचय देते हुए अपने 72 वर्षीय दादाजी की जान बचा ली। 

हुआ यूं कि 72 वर्षीय क्वॉय जम्पर अपनी 10 वर्षीय पोती के साथ झील में ऊदबिलाव के लिए लगे जाल की जांच कर रहे थे कि तभी वह बर्फीले पानी में गिर गए। उन्हें पानी में गिरते देख उनकी 10 वर्षीय पोती कारा जम्पर ने धैर्य नही खोया और दादा को बचाने के लिए तुरंत उस बर्फीले पानी में कूद गयी और उन्हें बहादुरी से उस बर्फीले पानी से बाहर निकालते हुए करीब एक मील तक घसीट कर ले आयी और उनकी जान बचायी। 


कॉय जम्पर ने अपनी पोती का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मुझे जीवनदान मिला है। कारा ने कहा कि मुझे कुछ समझ नही आया मैं बस पानी में कूद गयी वाकई यह बहुत मुश्किल कार्य था। 

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Tuesday 28 January 2014

American Woman Becomes Indian Housewife

अमेरिका में रिसेप्शनिस्ट का कार्य करने वाली 41 वर्षीय अमेरिकी महिला एड्रियाना पैरल का अपने से 16 वर्ष छोटे भारतीय युवक से फेसबुक पर रोमांस ऐसा रंग लाया की वह कुछ महीनों में ही भारत आ पहुंची और हरियाणा निवासी मुकेश कुमार के साथ विवाह के पवित्र बंधन में बंध गयी। 

बचपन से अमेरिकन लाइफस्टाइल में रहने वाली यह महिला सब कुछ छोड़ भारत के एक छोटे से गांव में अपने पति मुकेश के साथ सुखी वैवाहिक जीवन का आनंद ले रही हैं। 

एड्रियाना एक ग्रामीण गृहिणी की तरह मुकेश के घर के सभी कार्यो को कर रही है जैसे घर की सफाई, खाना बनाना और फार्म हाउस की देखरेख आदि। 

एड्रियाना अमेरिका में अपनी 25 वर्षीय एक बेटी को भी छोड़कर आयी है। एड्रियाना का कहना है कि वह मुकेश के साथ अपने अपने वैवाहिक जीवन से बहुत खुश है और किसी भी कीमत पर इसे नही छोड़ सकती। 

लेकिन एड्रियाना का परिवार उसके इस कदम से सदमे में है। एड्रियाना ने बताया कि कुछ लोग समझते थे कि मुकेश कोई झूठा आदमी होगा जो बस मेरे साथ फेसबुक पर टाइम पास करता है लेकिन जब मैं इंडिया पहुंची तो इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर मुकेश को देखकर मुझे बहुत राहत मिली। 

एड्रियाना का नया घर हरियाणा के पोपरन गांव का एक मामूली सा फार्म हाउस है। शहर से इस गांव से पहुंचने में गाड़ी से 30 मिनट का समय लगता है। एड्रियाना ने बताया की जब वह हवाई जहाज से उतरी तो यहां का संस्कृति देख सदमे में थी। उसने देखा की महिलायें घरों में रहती हैं। पहली बार मुझे लगा की यह वास्तविक संघर्ष है लेकिन जल्द ही मैंने यह भी महसूस किया कि सुखी जीवन के लिए जरूरी नही की सारी सुख सुविधायें हों। एड्रियाना कहती हैं कि गरीब स्थानीय लोगों में मेरी गिनती होना मेरे लिए काफी बड़ी चुनौती थी। 

एड्रियाना अब भारतीय रहन-सहन और भारतीय पहनावा ही पहनती है, वो कहती है कि यहां गांव में विदेशी लोग नहीं दिखते हैं इसलिए में जब भी कहीं जाती हूं तो मुझे देखने वालों की भीड़ लग जाती है। मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं कोई सेलीब्रिटी हूं लेकिन अब मुझे इसकी आदत पड़ चुकी है। 

मुकेश अब एड्रियाना से अंग्रेजी भाषा सीख रहा है उसने टूटी फूटी अंग्रेजी में कहा एड्रियाना इज ए गुड वाइफ। वह घर के सभी कार्य करती है और जब मां मेरे लिए खाना बनाती है तो उनसे कहती है यह मैं करूंगी यह मेरा काम है। मैं अपने सच्चे प्यार को पाकर बहुत खुश हूं। 

यह विवाहित जोड़ा आगे अपना परिवार भी बढ़ाना चाहता है। एड्रियाना कहती हैं कि अगर यहां भी अमेरिका जैसा खाना और सुख-सुविधाये मिल जाये तो बहुत अच्छा हो। वो अपने परिवार के साथ एक बार अमेरिका जाने की इच्छा भी रखती है। एड्रियाना कहती है कि मुझे भारत के लोग बहुत अच्छे लगे मुझे यह अपना दूसरा घर लगता है। 

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Indian-origin engineer creates 3D printer that makes pizzas fit for astronauts

वाशिंगटन। भारतीय मूल एक इंजीनियर ने एक ऐसा थ्रीडी प्रिंटर विकसित करने का दावा किया है, जो लंबे अभियानों के दौरान अंतरिक्षयात्रियों के लिए लजीज भोजन और पिज्जा तैयार कर सकेगा। मैकेनिकल इंजीनियर अनजान कांटेक्टर ने अपने इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से 125000 डॉलर (करीब 78 लाख रुपये) का अनुदान हासिल किया था। इसके तहत अनजान को ऐसे थ्रीडी प्रिंटर का प्रोटोटाइप तैयार करना था जो अंतरिक्षयाक्षियों को अधिक पोषक भोजन का विकल्प प्रदान कर सके। अब तक अंतरिक्षयात्री अभियान के दौरान डिब्बाबंद और सूखे मेवे व अन्य खाद्य पदार्थ ही खाते हैं। टेक्सास स्थित सिस्टम्स एंड मटीरियल्स रिसर्च कारपोरेशन में काम कर रहे अनजान ने कहा कि यह प्रिंटर खाद्य पदार्थ में मौजूद प्रोटीन, वसा व अन्य पोषक तत्वों को बरकरार रखेगा। प्रिंटर प्रक्त्रिया पूरी करने के बाद महज 70 सेकेंड में पिज्जा तैयार कर देगा। 

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Thursday 23 January 2014

Pet Parrot Snitches On His Drunk Driving Owner At Cop Checkpoint

 
मेक्सिको सिटी। गाड़ी चलाते हुए शराब पीना अपराध है, यह बात मालूम होने के बाद भी अक्सर लोग चोरी छिपे दो पैग मार ही लेते हैं। लेकिन यहां एक व्यक्ति की पोल उसके ही पालतू तोते ने खोल दी और पुलिस को इस बात की खबर भी कर दी। हुआ यूं कि यह व्यक्ति अपने तोते के साथ लांग ड्राइव पर निकला। रास्ते में सफर का भरपूर आनंद लेने के लिए उसने शराब खरीदी और पीने लगा। थोड़ी दूर चौराहे पर मौजूद पुलिस से बचने के लिए उसने शराब की बोतल सीट के नीचे छिपा दी। लेकिन तभी उसके साथ गाड़ी में मौजूद तोते ने चिल्लाना शुरू कर दिया। 

तोते की आवाज सुन पुलिस हरकत में आ गई। उसे रोककर तलाशी ली गई। फिर क्या था, सारी पोल खुल गई और उसे जुर्माना भरना पड़ गया। 

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Tuesday 21 January 2014

World s smelliest man: Iranian defeats Indian

 
विचित्र व्यक्ति की पहचान उसकी उसके रहन-सहन और कार्यशैली पर निर्भर करता है। आज तक आपने बहुत विचित्र प्राणी के बारे में सुना और देखा होगा पर आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको दुनिया का सबसे गंदा प्राणी घोषित किया गया है। जी हां गंदा व्यक्ति, दक्षिणी ईरान के डेजगाह शहर के दूरदराज इलाके में रहने वाला एमऊ हाजी। 
 
पानी से दूर रहने वाले एमऊ पिछले साठ वषरें से नहाया नहीं है। सड़े मांसों का सेवन करने वाला 80 वर्षीय एमऊ के बारे में बताया जाता है कि एमऊ ने पानी से दूर रहने का निर्णय गुरू कैलाश सिंह से प्रेरणा लेकर लिया था। भारत के वाराणसी शहर में रहने वाले 69 वर्षीय कैलाश सिंह ने वर्ष 1974 के बाद अपने शरीर पर पानी की एक बूंद भी नहीं पड़ने दी। एमऊ की पत्नी बताती हैं कि एमऊ रोजाना जंक तेल से निकलने वाला पांच लीटर गंदा पानी पी जाता है। साथ ही एमऊ की पत्नी ने कहा कि अब उसके साथ सोने से भी मुझे नफरत है। आपको बता दें कि एमऊ अपने बालों को काटने के बाद उसे जला कर उसकी राख को हेलमेट में रखकर उसे पहन लेता है, ताकि गर्मी बरकरार रहे। बताया जाता हैं कि एमऊ के साथ हुए पहले हुए किसी हादसे के कारण उसके दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ा और उसके बाद से उसने ऐसी हरकतें करनी शुरू कर दी। 

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Two monkeys got married




शुभ लग्न में दोस्ती दो लोगों की रिश्तेदारी में बदल गई। इसके लिए वाराणसी के रसूलगढ़-सलारपुर के रामलखन और पुलकोहना के पप्पू यादव ने माध्यम बनाया अपने-अपने यहां के पालतू बंदर-बंदरिया को। इस वानर विवाह में गाजे बाजे संग बरात निकली। इसमें तीन सौ लोग शामिल हुए। स्टेज पर जयमाल और सिंदूरदान की औपचारिकताएं पूरी की गईं। रसूलगढ़-सलारपुर के रामलखन ने अपने यहां के पांच वर्षीय बंदर मंगरू की बरात रविवार रात धूमधाम से निकाली। पहले दूल्हा बने मंगरू को एक श्वान पर बैठाया गया लेकिन उसके बिदकने पर बंदर खिसियाने लगा तो रिक्शे पर शान की सवारी निकली। बरात में करीब डेढ़ सौ बाराती शामिल हुए और सभी पुलकोहना निवासी पप्पू यादव के घर पहुंचे। वहां करीब सौ घरातियों ने आगवानी की। 

पप्पू को दो वर्ष पूर्व करंट से झुलसी घायल अवस्था में एक बंदरिया मिली थी मनकी। मनकी को ही दुल्हन की तरह सजाया गया था। स्टेज पर बाकायदे कुर्सियों पर विराजमान हुए मंगरू और मनकी। शाम छह बजे के करीब जयमाल व सिंदूरदान हुआ और रात में ही मनकी की विदाई कर दी गई। इस अनूठे विवाह में करीब तीन सौ लोगों ने दावत उड़ाई। दरअसल रामलखन और पप्पू आपस में दोस्त हैं। जब कभी एक दूसरे के घर जाते, साथ में बंदर-बंदरिया को ले जाते। दोनों वानर एक-दूसरे का साथ छोडऩे के लिए पिछले कई दिनों से तैयार ही नहीं हो रहे थे। लिहाजा दोनों का धूमधाम से विवाह कर दिया गया। 

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Friday 17 January 2014

Find my dog and get unique award

ओहियो। गुमशुदा व्यक्ति का पता बताने पर उचित ईनाम दिए जाने के इश्तिहार आमतौर हम अखबारों में पढ़ते हैं। लेकिन यहां एक महिला ने अपना खोया हुआ कुत्ता वापस पाने के लिए अनोखा इश्तिहार दिया है। इसके मुताबिक जो भी सज्जन उसके कुत्ते को तलाश कर लाएगा उसे ईनाम में बीयर और सिगरेट दी जाएगी।

ऐसा करने की वजह लोगों को इश्तिहार के प्रति आकर्षित करना है, जिससे लोग जल्द से जल्द उसके खोए हुए कुत्ते का पता बता सके। इतना ही नहीं महिला की यह तरकीब कारगर भी होती दिख रही है, क्योंकि कई लोगों ने महिला से संपर्क करते हुए कुत्ते के रूप-रंग के बारे में व्यक्तिगत तौर पर जानने की इच्छा जताई है। 

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Thursday 16 January 2014

Dog drove the owner car

न्यूयॉर्क। अमेरिका में एक शरारती कुत्ते की हरकतों ने उसके मालिक को सांसत में डाल दिया। शिहुआहुआ नस्ल का कुत्ता अपने मालिक की कार चलाकर सड़क पर ले गया और दूसरी कार को जोरदार टक्कर दे मारी। 


स्पोकेन के रहने वाले जेसन मार्टिनेस ने बताया, दुकान में जाने से पहले मैं अपने कुत्ते टॉबी को कार में ही छोड़ गया था। उसने पता नहीं कैसे कार का गियर हटा दिया और उसे चलाने लगा। टॉबी कार पर नियंत्रण नहीं रख सका और आगे रेड लाइट पर खड़ी एक महिला की कार को टक्कर मार दी। न्यूयॉर्क डेली न्यूज की खबर के मुताबिक, इस अजीबोगरीब दुर्घटना में कार के टायरों को ही नुकसान पहुंचा है। रेड लाइट पर अपनी कार में बैठी महिला ने बताया, मैंने देखा तो कार में कोई नहीं था। बस एक कुत्ता स्टेयरिंग के ऊपर से झांक रहा था। मैंने आजतक किसी कुत्ते को कार चलाते हुए नहीं देखा। टॉबी के मालिक मार्टिनेज को इस दुर्घटना के बारे में तब पता चला जब एक व्यक्ति ने दुकान में जाकर बताया कि एक गोल्डन कार का एक्सीडेंट हो गया है। 

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Worlds First Ramayan University in Bihar

शिक्षा और तकनीक को आज सबसे जरूरी चीज मानने वाले शायद इस खबर पर थोड़ी त्योरी चढ़ाएं लेकिन रामायण और महाभारत भी अब युवाओं की जरूरत और संभावनाएं बनेंगे। धार्मिक इतिहास को धर्मग्रंथों में होने और दादी-नानी की कहानियों, साधु-महात्माओं के प्रवचनों में सुनने के अलावा अब खासकर युवा इसमें अपना भविष्य बनाएंगे..और यह सब एक बार फिर होगा शिक्षा का गौरवपूर्ण इतिहास रखने वाली पाटलिपुत्र की धरती पर।

रामायण और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों की कहानियां सुनना या धार्मिक टीवी सीरियल्स देखना लगभग हर किसी को पसंद आता है। पर रामायण, महाभारत और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथ पढ़ना हर किसी को न पसंद होता है, न आज की व्यस्त दिनचर्या में किसी के लिए यह संभव है।

कभी गुरुकुलों की परंपरा से विद्यार्जन का आरंभ करने वाले आर्यावर्त में तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय का अतुलनीय उच्च कोटि का शैक्षिक इतिहास है। उस शिक्षा व्यवस्था में वेद-शास्त्रों के अलावा व्याकरण, दर्शन, शल्यविद्या, ज्योतिष, योगशास्त्र तथा चिकित्साशास्त्र (आयुर्वेद) आदि भी पढ़ाए जाते थे। मतलब अपने पुराने काल में भी हम एक उच्च आधुनिक शिक्षा व्यवस्था से जुड़े थे। रहन-सहन और व्यावहारिक उपयोग में आधुनिकता के आ जाने तथा तकनीक और विज्ञान से जुड़ने के बाद हमारी शिक्षा और उसकी धारा में भी बदलाव आए। 

योग, धर्म, शास्त्र आदि इनमें कहीं नहीं रहे। आज रामायण और महाभारत पढ़ना हर किसी के वश की बात नहीं, इसे पढ़ने वाले महाज्ञाता माने जाते हैं। पर एक बार फिर पाटलिपुत्र में योग और धर्म अध्ययन का विस्तार होने जा रहा है। वह भी बड़े स्तर पर विश्वविद्यालय की पढ़ाई और डिग्री के साथ! विश्वविद्यालय स्तर पर यहां न सिर्फ रामायण, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथ पढ़ाए जाएंगे बल्कि इसमें देश-विदेश में रोजगार भी उपलब्ध होगा।

आधुनिक शिक्षा की वकालत करने वाले शायद यह पढ़कर डर जाएं कि कहीं विश्वविद्यालयों में आवश्यक रूप से अब रामायण और गीता तो नहीं पढ़ाए जाने वाले! जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं होने वाला लेकिन हां, पटना से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिद्दूपुर, वैशाली में एक विश्वविद्यालय जरूर खोला जा रहा है जहां रामायण, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई होगी। साथ ही रामायण आदि हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों से जुड़े शोध कार्य भी यहां किए जा सकेंगे। 5 साल के इस कोर्स में एस्ट्रोफीजिक्स, एस्ट्रॉनोमी, हिंदू माइथॉलोजी, वेद, उपनिषद संस्कृत, हिंदी, अन्य भारतीय तथा एशियाई भाषाओं में पढ़ाए जाएंगे। हिंदू ट्रस्ट द्वारा 25 एकड़ में 500 करोड़ की धनराशि से बनाए जाने वाले इस विश्वविद्यालय के लिए पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर के सेक्त्रेटरी आचार्य किशोर कुणाल निर्माण कार्यभार संभाल रहे हैं। हालांकि अभी तक इसके बनने की कोई समय सीमा नहीं रखी गई है लेकिन आचार्य कुणाल के अनुसार जितनी जल्दी संभव होगा इसका निर्माण कार्य पूरा करने की कोशिश की जाएगी।

व्यावहारिक दृष्टिकोण से इसे संभावनाहीन बताने वाले भी इस परियोजना की पूरी जानकारी होने पर इसका विरोध नहीं कर सकेंगे। 2500 विद्यार्थियों के लिए सीटों की व्यवस्था के साथ इस विश्वविद्यालय में सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी। साथ ही इसे रोजगारपरक भी बनाया जाएगा। विद्यार्थियों को यहां वाई-फाई की सुविधा भी दी जाएगी और विदेशी भाषाओं से भी उनके ज्ञान को जोड़ा जाएगा। आप सोच में पड़ गए कि धार्मिक ग्रंथों का विदेशी भाषाओं से क्या संबंध! चौंकिए मत! यह नालंदा विश्वविद्यालय की धरती है। ह्वेन सांग जैसे चीनी यात्री भी यहां आकर इसकी महिमा का गुणगान कर चुके हैं। इस विश्वविद्यालय में धर्म की इस शिक्षा को वैश्रि्वक स्वरूप देने के लिए रामायण, गीता, ज्योतिष आदि की पढ़ाई हिंदी, संस्कृत के अलावे कई विदेशी भाषाओं में भी कराई जाएगी।

इससे वैश्रि्वक स्तर पर इसके प्रसार के साथ ही तकनीक-सुलभ धर्म ज्ञान प्रशिक्षुओं को मिल सकेगा। साथ ही धर्म से जुड़े इन प्रशिक्षुओं के लिए वैश्रि्वक रोजगार की संभावनाएं भी उपलब्ध होंगी। यहां धार्मिक रीति-रिवाजों, पूजा-पाठ आदि संपन्न कराने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। तो अगर आप ढोंगी बाबा या अल्पज्ञान पंडितों से तंग आ गए हैं तो कुछ वषरें का इंतजार कीजिए..हो सकता है जैसे लोग हॉवर्ड और ऑक्सफोर्ड की डिग्री दिखाकर अपने ज्ञान का सबूत देते हैं, इससे निकले प्रशिक्षु भी इससे पढ़ा पंडित होने का मार्क लेकर घूमें। आपको शायद तब उनके पांडित्य पर यकीन आ जाए लेकिन जनाब ये एमबीए धारकों की तरह महंगे पंडित भी हो सकते हैं! तो इंतजार करें! ब्रांडेड पंडित अब बस आने ही वाले हैं!

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Wednesday 15 January 2014

Railway station has become a tourist destination

लंदन। घूमने के शौकीन लोगों को आमतौर पर विभिन्न स्थानों पर जाने और वहां की प्रसिद्ध चीजों को देखने की चाहत होती है। इनमें ऐतिहासिक इमारतें, नदी, झील, पहाड़ और झरने शामिल होते हैं। लेकिन यहां की एक शिक्षिका को इन चीजों में रुचि नहीं है। 

उसकी दिलचस्पी केवल अलग-अलग शहरों के रेलवे स्टेशन को देखने की है। दरअसल युवती के इस अनोखे शौक की वजह तीन साल पहले का एक फैमिली फोटो है। उस फोटो को उसने एक स्टेशन पर खींचा था तो उसकी पृष्ठभूमि में पूरा स्टेशन दिख रहा था। उस दृश्य से अभिभूत होकर उसने देश के सारे स्टेशनों में घूमने और वहां जाकर फोटो खींचने का निश्चय किया। इसके चलते वह ब्रिटेन के छोटे-बड़े सभी 2548 रेलवे स्टेशनों की सैर कर चुकी है। 

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Drunk Russians each cut off an ear after both lose arm-wrestling bet

मॉस्को। नशे में चूर कोई व्यक्ति कब क्या कर जाए न उसे पता होता है, न वहां मौजूद लोगों को। ऐसा ही हैरान कर देने वाला कारनामा यहां दो दोस्तों ने नशे में कर डाला। हुआ यूं कि दोनों क्रिसमस के जश्न में जाम पर जाम चढ़ाए जा रहे थे। इसी बीच दोनों ने पंजा लड़ाने का खेल शुरू किया, लेकिन शर्त यह रखी कि जो भी हार जाए, वह अपना एक कान खुद काट दे। बस फिर क्या था, खेल शुरु हुआ और दोनों में से एक दोस्त हार गया। शर्त के मुताबिक उसने अपना एक कान भी काट दिया। तभी थोड़ी देर बाद अपना कान काट चुके व्यक्ति ने एक बाजी और खेलने की इच्छा जाहिर की। दूसरी बाजी में दूसरा दोस्त हार गया और उसने भी एक कान खुद काट दिया। थोड़ी देर बाद दोनों दर्द के मारे चिल्लाने लगे और फौरन उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। 


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Monday 13 January 2014

China-India war ghost story in india

भारतीय सेना न सिर्फ एक भूत की सेवा ले रही है बल्कि उसे वेतन, प्रमोशन और पद की सभी सुविधाएं भी दे रही है। शायद आप इसे पढ़ते हुए थोड़ा अविश्वसनीय मुद्रा में होंगे लेकिन कुछ इंटरनेट साइटों की मानें तो यह सौ फीसदी सच है। भूत-प्रेतों की कहानियां अगर कहानियों में हों तो लोग मजे लेकर पढ़ते, देखते और सुनते हैं। सामान्य भाषा में ये कथित भूत हमारे मनोरंजन का एक बड़ा साधन हैं। पर जब-जब हकीकत में इनके अस्तित्व की बात आती है तो इन्हें झुठला दिया जाता है। हालांकि इसे पढ़कर भूतों के अस्तित्व पर एक बार आप जरूर सोच में पड़ जाएंगे। 


1963 का इंडो-चाइना वार आपको पता होगा। उस युद्ध में शहीद होने वाले सिपाहियों में हरभजन सिंह भी एक थे। 1962 के डोगरा रेजिमेंट के जवान हरभजन सिंह भारत-चीन के उस युद्ध में चीन के विरुद्ध युद्ध में शामिल हुए और शहीद हो गए. कहते हैं कि शहीद होने के तीन दिनों तक उनकी लाश भारतीय आर्मी को नहीं मिली और उनके किसी साथी जवान के सपने में उन्होंने अपने मृत शरीर की जगह बताई थी। उसके बाद पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन उसके बाद भी हरभजन सिंह ने अपनी आर्मी ड्यूटी से मुंह नहीं मोड़ा और बाबा बन गए, कैसे? यह भी एक मनोरंजक कहानी है। 

कहते हैं कि भारत-चीन के उस युद्ध के विषय में भी हरभजन सिंह ने अपनी साथी जवानों को पहले ही बता दिया था। शहादत के बाद युद्ध इंडो-चाइना युद्ध समाप्ति के बाद ऐसा कहा जाता है कि अपने किसी साथी जवान के सपने में आकर हरभजन सिंह ने अपनी समाधि पर एक मंदिर बनाने की बात कही। उनके कहे अनुसार हरभजन सिंह की समाधि पर एक मंदिर बनाया गया। तब से हरभजन सिंह भारतीय सेना की इस रेजिमेंट के लिए बाबा बन गए। यहां की रेजिमेंट के लिए हरभजन सिंह उर्फ बाबा आज भी सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और भारतीय सेना वेतन समेत सेना में रहते हुए मिलने वाली सभी सुविधाएं बाबा को दे रही है जिसे सुनकर कोई भी अपने दांतों तले अंगुली दबा ले। 

पूर्वी सिक्किम के नाथू ला दर्रे में हरभजन सिंह उर्फ बाबा की सेवाएं आज भी भारतीय आर्मी ले रही है और स्वभाव से कड़क और अनुशासित माने जाने वाले बाबा मरने के बाद से आज तक अपनी सेवाएं भारतीय आर्मी को पूरी ईमानदारी से दे रहे हैं। कहते हैं नाथू ला दर्रे में बाबा के नाम पर एक कमरा आज भी सुसज्जित है। यह कमरा अन्य सामान्य कमरों की तरह प्रतिदिन साफ किया जाता है, बिस्तर लगाया जाता है, हरभजन सिंह की सेना की वर्दी और उनके जूते रखे जाते हैं। कहते हैं रोज सुबह इन जूतों में कीचड़ के निशान पाए जाते हैं. माना जाता है कि बाबा सेना की अपनी पूरी जिम्मेदरी निभाते हैं. इसलिए भारतीय सेना इन्हें नियमित वेतन भी देती है, सैनिक के रूप में काम करते हुए अन्य फौजियों की तरह इनका पद भी मान्य है और समय-समय पर इन्हें प्रमोशन भी दिया जाता है. यहां तक कि ये सालाना नियत अपनी 2 महीने की छुट्टियां भी लेते हैं। इनके वेतन का एक हिस्सा जालंधर में रह रही इनकी मां के पास भेजा जाता है और इनकी छुट्टियों के लिए बाकायदा इनका सामान प्रथम श्रेणी के ट्रेन रिजर्वेशन के द्वारा इनके घर भेजा जाता है. किसी हवलदार के हाथों इनकी वर्दी समेत अन्य सामान इनके घर भेजा जाता है और छुट्टियां समाप्त होने पर उसी प्रकार उन्हें वापस भी लाया जाता है। कहते हैं कि बाबा की मान्यता सिर्फ भारतीय सेना में नहीं बल्कि बॉर्डर पर तैनात चीनी सेना में भी है। जब भी नाथू ला पोस्ट में चीनी-भारतीय सेना की फ्लैग मीटिंग होती है तो चीनी सेना एक कुर्सी हरभजन सिंह उर्फ बाबा के लिए भी लगाती है। यह एक अविश्वसनीय और अजीब सी लगने वाली कहानी अवश्य है लेकिन सच है। अभी हाल ही में जालंधर के ही किसी जवान ने एक मरे हुए जवान की पूजा करने और उसे सभी सुविधाएं देने और अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना और डिफेंस मिनिस्ट्री पर कोर्ट में केस किया है। अब देखते हैं कि कोर्ट इस भूत के अस्तित्व पर क्या फैसला देता है। 


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Australian man has 2cm cockroach removed from his ear

मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टरों ने एक व्यक्ति के कान से दो सेंटीमीटर लंबा कॉकरोच (तिलचट्टा) निकाला। कान में तेज दर्द के बाद जब हेनडिक हेलमर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर यह देखकर हैरान रह गए कि कॉकरोच ने उनके कान में अपना घर बना रखा था। काफी प्रयासों के बाद उसे चिमटी की सहायता से बाहर निकाला जा सका। डार्विन के रहने वाले हेलमर ने अपने कान में घुसे कॉकरोच को निकालने की काफी कोशिश की थी। 

उन्होंने वैक्यूम क्लीनर का भी इस्तेमाल किया लेकिन दर्द बढ़ने के बाद उन्हें अस्पताल जाना पड़ा। एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, किसी मनुष्य के कान से सबसे बड़ा कॉकरोच निकलने का रिकॉर्ड अनाधिकारिक तौर पर हेलमर के नाम हो गया है। रॉयल डार्विन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उनके कान में तेल डाला ताकि कॉकरोच बाहर निकल जाए लेकिन दस मिनट बाद ही वह मर गया। इसके बाद उसे चिमटी से बाहर निकाल लिया गया। 

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Friday 10 January 2014

Cold weather brings escaped inmate back to prison

न्यूयॉर्क। फरार कैदी किसी जेलर के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द होता है, लेकिन अगर जेलर के सामने उसका फरार कैदी खुद आकर जेल में रहने के लिए कहे तो जेलर साहब के क्या कहने। जी हां, ठंड से कांप रहे अमेरिका में ऐसा ही वाकया सामने आया। दरअसल यहां रिकॉर्ड सर्दी के चलते जेल की सुरक्षा में तैनात कई सुरक्षाकर्मी छुट्टी पर थे। इस मौके का फायदा उठाते हुए एक कैदी जेल से फरार हो गया। लेकिन बाहर का माहौल उसे रास नहीं आया। अमेरिका में पड़ रही ऐतिहासिक सर्दी की मार वह झेल न सका। जान बचाने के लिए उसे जेल ही सबसे मुनासिब जगह दिखी जहां कम से कम ठंड से बचने के इंतजाम मुहैया थे। लिहाजा जितनी तेजी से वह जेल से भागा था, उससे दोगुनी तेजी से वह उल्टे पैर वापस जेल पहुंच गया। उसने जेलर को न केवल अपने भागने की बात बताई बल्कि फिर से जेल में डालने की गिड़गिड़ाहट भी की। 

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Tuesday 7 January 2014

Artificial Heart Transplant

 
विज्ञान और भगवान में इतना फर्क है कि भगवान इंसान बना सकता है, सांसें लेने वाले शरीर, पादप बना सकता है, प्रकृति की रचना कर सकता है जो विज्ञान नहीं कर सकता। विज्ञान रोबोट बना सकता है, मानव क्लोन बना सकता है लेकिन श्वास लेने वाला मानव या अन्य कोई जीव शरीर नहीं बना सकता। पर अब विज्ञान ने ऐसा कर दिखाया है। मेडिकल साइंस ने आज कितनी भी तरक्की कर ली हो, जीवों की शारीरिक संरचना को भले ही समझ लिया हो, बड़ी से बड़ी बीमारियों तक का इलाज भी ढूंढ़ लिया हो लेकिन विज्ञान अब तक इन जीवों की प्राकृतिक संरचना के समान रूप बनाने में असफल रहा है।

पर ऐसा लगता है कि निकट भविष्य में विज्ञान अब भगवान बनने की तैयारी कर रहा है। अभी हाल ही में पेरिस के जॉर्जेज पॉंम्पिडॉऊ अस्पताल में एक 75 वर्षीय दिल के रोगी में सफलतापूर्क कृत्रिम दिल ट्रांसप्लांट किया गया है। लिथियम-ऑयन बैटरी से चलने वाला यह कृत्रिम दिल फ्रेंच बॉयोमेडिकल फर्म कार्मेट द्वारा बनाया गया है। सिंथेटिक जैसे प्लास्टिक मैटेरियल आदि खून के संपर्क में आकर इसका थक्का बना सकते हैं। इसलिए इस कृत्रिम दिल का बाहरी हिस्सा जो खून के संपर्क में आता है सिंथेटिक की बजाय बोवाइन टिशू से बनाया गया है।

एक किलोग्राम से भी कम वजन का यह दिल प्राकृतिक स्वस्थ दिल से तीन गुना ज्यादा भारी है। हालांकि अमेरिका में 1963 से ही कृत्रिम दिल को लेकर अनुसंधान चल रहे थे लेकिन यह पहला मौका है जब सफलतापूर्वक ऐसा कोई दिल असली दिल की जगह फिट किया जा सका है। इससे पहले दिल के सहायक यंत्र (पेसमेकर आदि) तो शरीर में फिट किए गए हैं या किसी डोनर के दिल क्षतिग्रस्त दिल की जगह लगाए गए हैं। लेकिन मेडिकल साइंस के इतिहास में पहली बार पूरा का पूरा दिल एक कृत्रिम दिल के साथ सफलतापूर्क बदला जा सका है। इससे दिल के क्षतिग्रस्त होने से मरीजों के मरने की संभावना कम हो जाएगी।

हालांकि पूरे विश्व में 1 लाख कृत्रिम दिल की मांग की तुलना में अभी केवल 4 हजार ही उपलब्ध हैं और आम आदमी के बजट से बहुत दूर इसकी कीमत 150 डॉलर रखी गई है लेकिन निकट भविष्य में पूरी मांग के अनुरूप इसकी संख्या उपलब्ध होने की उम्मीद है। इस दिल के साथ एक और दिक्कत इसका आकार है। कृत्रिम दिल 80 प्रतिशत पुरुषों के दिल की जगह तो फिट हो सकते हैं लेकिन बड़ी आकार के कारण केवल 20 प्रतिशत महिलाओं के दिल को ही इससे बदला जा सकता है। इसे बनाने वाले इंजीनियर्स निकट भविष्य में इसके इन दोषों को दूर करते हुए और भी बेहतर कार्यप्रणाली के साथ इसे लाए जाने की उम्मीद जताते हैं।

फिलहाल तो इंसानों के खुश होने के लिए इतना ही काफी है कि अब वे जिंदा रहने के लिए अपने एक ही दिल के मुहताज नहीं हैं.मतलब अगर इसने खराब होकर आपको मारने का मन बना लिया है तो आप भी इससे नाराज होकर इसकी जगह दूसरा दिल ला सकते हैं। 

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Power Pillow charges your electronic devices while you relax

वाशिंगटन। कनाडा के दो डिजाइनरों ने ऐसा तकिया तैयार किया है जिससे मोबाइल और लैपटाप को चार्ज किया जा सकेगा। 

पावर पिलो नाम का यह तकिया लोगों के सोफे या बिस्तर पर रखा रहता है। यह साधारण तकिये जैसा ही दिखता है और विभिन्न प्रकार के डिजाइनों में उपलब्ध है। गिजमैग पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने के लिए इसमें यूएसबी के अलावा लिथियम-पॉलिमर बैट्री लगी होती है। यूजर्स की मदद के लिए इस तकिये के सात प्रारूप तैयार किए गए हैं। इससे मोबाइल या लैपटाप चार्ज करने में लोगों को सुविधा होगी। इस तकिये के प्रयोग का एक अन्य लाभ यह होगा कि लोगों को महत्वपूर्ण फोन या ईमेल का इंतजार करते समय चार्ज करने के लिए मोबाइल या लैपटाप को किसी अन्य कमरे में नहीं छोड़ना होगा। 

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Monday 6 January 2014

Lifetime earnings lost in minutes


शंघाई। बच्चों को बहलाने के तरीके तो आपने बहुत सुने होंगे लेकिन यहां का एक परिवार अपने बच्चे को व्यस्त रखने के लिए पुरानी किताबें, अखबार इत्यादि का इस्तेमाल करता था। बच्चा इन चीजों को फाड़कर हवा में उड़ाने में व्यस्त रहता था। ऐसा करते वक्त उसे इतना मजा आता था कि वह किसी को परेशान नहीं करता था। लिहाजा परिवार के लोग अपना काम आराम से निपटा लेते थे। एक दिन इसी तरह बच्चे को पुरानी किताबें देकर माता-पिता अपने काम में व्यस्त हो गए। लेकिन इस बार किताब की जगह बच्चे के हाथ वहीं पास में रखा कागज का थैला लग गया। बच्चा उसे भी फाड़ने लग गया। काफी देर बाद जब बच्चे की मां आई तो नजारा देख उसके होश फाख्ता हो गए, क्योंकि वह कागज का थैला परिवार द्वारा अब तक जमा की गई पूंजी थी। आनन-फानन में मां ने बच्चे से थैला लिया लेकिन तब तक जमा-पूंजी का सत्यानाश हो चुका था। बच्चा अपनी आदत के मुताबिक सभी नोटों को फाड़कर हवा में उड़ा चुका था। 

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Thursday 2 January 2014

Pilot delays flight over two hours to wait for a sandwich

लाहौर। विमान को उड़ान भरने में होने वाली देरी के पीछे हमेशा ही गंभीर वजह होती है। लेकिन यहां लाहौर से न्यूयॉर्क जाने वाला विमान खाने के शौकीन पायलट के कारण दो घंटे की देरी से उड़ा। हुआ यूं कि अपने समय के अनुसार सुबह 6.45 बजे विमान यात्रियों समेत उड़ान भरने को तैयार खड़ा था। लेकिन पायलट उड़ान भरने को तैयार नहीं था। जब वजह पता की गई तो मालूम चला कि पायलट महाशय को भूख लगी है और उन्हें अपना पसंदीदा सैंडविच खाना है। खैर पायलट को खाने की दूसरी चीजें पेश की गई, क्योंकि मनचाहा सैंडविच तुरंत उपलब्ध कराना आसान नहीं था। लेकिन पायलट अपनी जिद पर अड़ा रहा और आखिरकार थक हार कर कैटरिंग वालों ने सैंडविच का ऑर्डर दिया, जिसे आने में तकरीबन दो घंटे का समय लग गया। सबसे रोचक बात यह थी कि जब पायलट को देरी का जिम्मेदार बनाया गया तो उसने कैटरिंग की अव्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए पल्ला झाड़ लिया। 

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