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Monday 24 February 2014

Two kids always live in water

झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के डोबरोबासा गांव के दो बच्चे हमेशा पानी में ही रहते हैं। इनकी जिंदगानी पानी है। सोते, उठते, जागते, बस पानी-पानी। लगभग मत्स्य जीवन। पानी से निकाला कि सांसें थमने लगती हैं।

दरअसल, माधो सोय के दोनों बेटे पांच वर्षीय रोहित सोय व तीन वर्षीय मंगल सोय एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया बीमारी से पीडि़त हैं। इनके शरीर में पसीने को बाहर निकालने वाली ग्रंथियां नहीं हैं। लिहाजा उनके शरीर का तापमान बहुत ज्यादा रहता है और वे पानी में रहना पसंद करते हैं। पानी से नाता टूटा कि प्राण हलक में आए। फिलहाल दोनों का इलाज रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में चल रहा है। अस्पताल ने बच्चों की बीमारी पर अलग से कक्षाएं चलाने और शोध करने का फैसला किया है। रिम्स में इलाज कर रहे शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एके शर्मा ने बताया कि दोनों को एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया बीमारी है। यह एक आनुवांशिक रोग है व इसका इलाज संभव नहीं है। यही कारण है कि इससे पीडि़त लोग लंबे समय तक जीवित नहीं रहते हैं। पूरे विश्व में इस तरह के मरीजों की संख्या करीब सात हजार है। फिलहाल रिम्स में ही उसका उपचार होगा और उनका स्कीन बायोप्सी के लिए गुरुवार को मुंबई भेजा जाएगा।

बच्चों की मां नागुरी सोय ने बताया कि उनका पहला बेटा रोहित जन्म के बाद हमेशा रोता रहता था। लेकिन शरीर पर पानी की बूंदें पड़ते ही चुप हो जाता था। पहले तो काफी दिनों तक समझ में नहीं आया। लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि पानी के बिना रोहित को रहा नहीं जा रहा है। दो साल बाद दूसरे बेटे मंगल का जन्म हुआ। मंगल भी इसी तरह से रोने लगता। इसके बाद दोनों को पानी में रखने का फैसला लिया। इसके बाद से दोनों का स्वास्थ्य दुरुस्त रहने लगा। अब दोनों बच्चे बड़े होने लगे हैं, लेकिन उनके दो-दो दांत ही निकले हैं। दोनों पानी के बिना एक पल भी रह नहीं सकते हैं।

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