अब झूठ बोलने वालों की खैर नहीं। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी कृत्रिम खुफिया प्रणाली विकसित की है जो लिखित या मौखिक गवाही के दौरान झूठ को सटीकता से पकड़ लेगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह सॉफ्टवेयर पुस्तकों की नकली ऑनलाइन समीक्षा की भी पहचान कर लेगा।
ब्रिटेन के कोलचेस्टर में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स के भाषाविद् मैसिमो पोएसियो और इटली के ट्रेंटो में स्थितसेंटर फॉर माइंड/ब्रेन साइंस के थोमासो फार्नसिएरी ने इस प्रणाली को विकसित किया है। प्रणाली को स्टाइलोमेट्री तकनीक की मदद से विकसित किया गया है जो इस बात की गणना करता है कि कोई खास शब्द किसी पैराग्राफ में कितनी बार आया है। न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक उपलब्ध तकनीक से इस बात का पता लगाया जाता है कि किसी खास टुकड़े को किसने लिखा है, लेकिन यह सॉफ्टवेयर पता लगाएगा कि इसमें लिखी गई चीजें सच हैं या झूठ।
सॉफ्टवेयर झूठ को सटीकता से पकड़ लेता है यह सुनिश्चित करने के लिए मैसिमो और थोमासो ने इसमें इटली कीअदालत में दिए गए उन गवाहों के बयानों को फीड किया, जिसके बारे में माना जाता है कि उन्होंने झूठी गवाही दी। शोधकर्ताओं ने कहा कि बचाव पक्ष या गवाह झूठ बोल रहे हैं, सॉफ्टवेयर ने इसके संकेत 75 प्रतिशत बिल्कुल सटीक दिए।
ब्रिटेन के कोलचेस्टर में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स के भाषाविद् मैसिमो पोएसियो और इटली के ट्रेंटो में स्थितसेंटर फॉर माइंड/ब्रेन साइंस के थोमासो फार्नसिएरी ने इस प्रणाली को विकसित किया है। प्रणाली को स्टाइलोमेट्री तकनीक की मदद से विकसित किया गया है जो इस बात की गणना करता है कि कोई खास शब्द किसी पैराग्राफ में कितनी बार आया है। न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक उपलब्ध तकनीक से इस बात का पता लगाया जाता है कि किसी खास टुकड़े को किसने लिखा है, लेकिन यह सॉफ्टवेयर पता लगाएगा कि इसमें लिखी गई चीजें सच हैं या झूठ।
सॉफ्टवेयर झूठ को सटीकता से पकड़ लेता है यह सुनिश्चित करने के लिए मैसिमो और थोमासो ने इसमें इटली कीअदालत में दिए गए उन गवाहों के बयानों को फीड किया, जिसके बारे में माना जाता है कि उन्होंने झूठी गवाही दी। शोधकर्ताओं ने कहा कि बचाव पक्ष या गवाह झूठ बोल रहे हैं, सॉफ्टवेयर ने इसके संकेत 75 प्रतिशत बिल्कुल सटीक दिए।
Source: Hindi News
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